घर गृहस्थी भाग _3
कहानी _ घर गृहस्थी
भाग _3
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
जैसे ही प्रदीप अपने घर पहुंचा उसके पिता ने उसकी जमकर क्लास लिया।
तुमको पता है आज होली है ।घर पर आस पड़ोस के लोग और मित्र सभी आते हैं अबीर गुलाल लगाने और बधाई देने तुमको घर पर होना चाहिए।
लेकिन तुमको तो घर परिवार की कोई चिंता ही नहीं है।
जब सब लोग चले गए तब आराम से आ रहे हो।तुम्हारी लापरवाही कम नहीं हो रही है।दिनभर होली खेला मन नही भरा।
प्रदीप चुपचाप अपने पिता की डांट सुनता रहा तभी उसकी मां ने आकर कहा _ आज होली के दिन तो इसे मत डांटिये।जब सिर पर जिम्मेवारी आयेगी तो खुद संभल जायेगा ।अभी बच्चा है खेलने कूदने दीजिए।
क्या कहा बच्चा है।अगर इसकी शादी हो गई होती तो दो चार बच्चे हो गए होते।तुम ही ने इसको बिगाड़ रखा है।इसको बोलो अब सुधर जाए।मैं जल्दी ही रिटायर होने वाला हूं।जल्दी से अपनी पढ़ाई पूरी करके कोई नौकरी कर ले घर गृहस्थी की जिम्मेवारी संभाल ले।उसके पिता ने नाराज होते हुए कहा।
उसकी मां ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा_ सब कर लेगा मेरा बेटा आप चिंता मत कीजिए और नाराज मत होइए।चलो बेटा कुछ खा पी लो।प्रदीप अपनी मां के साथ धीरे से घर के अंदर चला गया।
होली की छुट्टी के बाद प्रदीप जब अपने दोस्तो के साथ कॉलेज पहुंचा ज्योत्सना ने अपनी सहेलियों के साथ उसको घेर लिया और उसे रंगो और गुलाल से सराबोर कर दिया।
सब लड़के और खुद प्रदीप ज्योत्स्ना की इस हरकत पर हैरान रह गया।उसे यकीन ही नही हो रहा था की वो उसके साथ ऐसा कर सकती थी।
देखो मैंने अपना बदला चुका लिया।तुमने उस दिन होली के दिन धोखे से मुझे गुलाल लगाया था न उसका बदला मैने भी चुका लिया।
ज्योत्सना ने हंसते हुए कहा।
प्रदीप और उसके दोस्तो को बड़ा आश्चर्य हुआ कि आखिर इसे कैसे पता चला कि वो कौन था।
प्रदीप ने सोचा कही उसके दोस्तो ने तो उसे धोखा नहीं दिया।कही इन्ही लोगो में से किसी ने तो बता दिया है।
उसने शक भरी निगाहों से अपने दोस्तो को देखा।
अपने दोस्तो को क्यों देख रहे हो तुम
इनमे से किसी ने मुझे नही बताया।मैंने खुद ही तुम्हारे गुलाल लगाने के अंदाज से पहचान लिया था।जैसे कोलेज में यहां उस दिन छुट्टी के दिन लगाया था।तुम्हारे छुअन को मैंने पहचान लिया था।
प्रदीप ने राहत की सांस लिया ।उसे लगा था अगर ज्योत्सना ने उसे पहचान लिया तो वो पता नही क्या आफत मचाएगी ।लेकिन ऐसा कुछ नही किया ।प्रदीप ने धीरे से ज्योत्सना से कहा थैंक यू तुमने मेरे प्यार को कबूल कर लिया।दरअसल मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं ।इसलिए कोलेज और तुम्हारे घर पर मिस्त्री बनकर तुम्हे रंग गुलाल लगाया था।
मुझे मालूम है तुम्हे कहने की जरूरत नही है।ज्योत्सना ने मुस्कुरा कर कहा।
शेष अगले भाग _ 4 में
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड
मॉब.9955509286
Babita patel
07-Apr-2024 11:34 AM
Amazing
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Mohammed urooj khan
01-Apr-2024 02:36 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
31-Mar-2024 11:06 PM
Nice
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